लेखनी प्रतियोगिता -23-Dec-2022 किसान धरती मां का सिपाही
शीर्षक-किसान धरती मां का सिपाही
किसान है धरती मां का सिपाही,
बंजर धरती को बनाता उपजाई,
घर में सब ओढ़कर सोते रिजाई,
किसान रात भर जागकर करता उगाई।
धरती मां का बनता रक्षक,
खड़ा रहता सीना तान कर चारों प्रहर,
बीज बो कर करता खड़ी फसल,
तब जाकर उठती फसल में लहर।
सूर्य के ज्वालो को सहता,
फिर अन्न ज्वार उगाता,
जब फसल करती बसर,
किसान के चेहरे पर होता अमन।
खेतों को जब देखे लहराता,
किसान का चेहरा होता मुस्कुराता,
राग गाता झूमने नाचने लगता,
विधाता का आभार प्रकट करता।
किसान की धरती सोना उगले,
प्रकृति में मनोरमी रंग भरे,
खुशहाली के मंच सजे,
किसान आज तन कर खड़े।
चलो आज मनाए किसान दिवस,
चौधरी चरण सिंह को करें श्रद्धांजलि अर्पण,
संपूर्ण जीवन किसानों के हित में किया समर्पण,
ऐसे प्रधानमंत्री को करो शत शत नमन।
लेखिका
प्रियंका भूतड़ा
सीताराम साहू 'निर्मल'
29-Dec-2022 04:43 PM
बेहतरीन
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Punam verma
24-Dec-2022 07:54 AM
Very nice
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Gunjan Kamal
23-Dec-2022 10:33 PM
शानदार
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